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लेखनी प्रतियोगिता -23-Feb-2022 क्या आप मुझे जानते हैं

आज प्रतिलिपि पर बड़ा अफरातफरी का माहौल था । सारे लेखकगण बदहवास से इधर उधर घूम रहे थे । सबके चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं । अब तक बड़ा गुरूर पाले बैठे थे कि हम तो बहुत बड़े लेखक हैं । हमारी ख्याति तो दिग्दिगंत तक फैल रही है । कॉलर ऊपर करके , बालों को थोड़ा झटक कर स्टाइल से दूसरे लेखकगणों को देखते , मंथर गति से गर्व से सीना चौड़ा कर जाते हुए हमने अनेक महानुभावों को देखा है । हम जैसे लेखकों (वास्तव में वे लोग हमें कलमघसीटू समझते हैं) की ओर तुच्छ भाव से देखते हुए उनकी नजरों में अभिमान की विशेष चमक होती थी । 


मगर आज ? ये क्या कर दिया प्रतिलिपि जी ! आपने तो सारे गधे घोड़े एक कर दिये । सबको अपरिचित घोषित कर दिया आपने । अब वे नामचीन लेखक क्या करेंगे जिनकी वर्दी पर विशेष प्रकार की "फीत" लगी हुई थी । आपके इस प्रयास से सब लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं " क्या आप मुझे जानते हैं" ? पर कमाल ये है कि पूछ सब रहे हैं मगर बता कोई नहीं रहा है । बताने की जहमत कौन उठाये ? और फिर लेखकगण अपनी ही दुनिया में मस्त रहते हैं । बाकी जाये भाड़ में ।

आज सुबह सुबह हमारे "घुटन्ना मित्र" हंसमुख लाल जी मिल गये । वे घुटन्ना मित्र इसलिए कहलाते हैं कि जब हम घुटन्ना पहनते थे और गलियों में खेलते थे तब से हमारे मित्र हैं । इसलिए हम उन्हें घुटन्ना मित्र कहते हैं । बड़ी बहकी बहकी सी बातें कर रहे थे । हमने राम राम करते हुए कहा " कैसे हो हंसमुख लाल जी" ? 

उन्होंने अजनबी निगाहों से हमें घूरते हुए कहा " वो सब बातें छोड़िए भाईसाहब । पहले आप ये बताइये कि क्या आप हमें जानते हैं" ? 

बड़ा अजीब प्रश्न था यह । अरे , जबसे होश संभाला है तबसे हम लोग साथ साथ हैं फिर आज अचानक ऐसा प्रश्न क्यों पूछ रहे हैं हंसमुख लाल जी ? हमने अपने चेहरे पर अप्रसन्नता के भाव लाते हुए पूछा " पाजामे में ही हो या बाहर आ गए ? आज सुबह सुबह ही भंग चढ़ा ली है क्या" ? 

"सीधे प्रश्न का सीधा उत्तर क्यों नहीं देते, भाईसाहब ? ये गोल गोल घुमाना बंद करो और सीधा जवाब दो कि क्या आप हमें जानते हैं" ? 

अब हंसमुख लाल जी को कैसे समझाएं कि बड़े लोग कभी भी सीधे सीधे जवाब नहीं देते । आप लोग किसी भी बड़े नेता, अफसर, कलाकार, उद्योगपति और लेखक को ही देख लीजिए । कभी भी सीधी बात करते देखा नहीं होगा इन्हें । 'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना' की तर्ज पर अपनी बात रखते हैं । इसलिए तो इन 'रंगे सियारों' को लोग बरसों तक पहचान नहीं पाते हैं । हमने प्रकट तौर पर कहा 

"हां , हम आपको भली भांति जानते हैं । आप हंसमुख लाल हैं । आपके पिताजी का नाम दुखी लाल है । आप हमारे मौहल्ले में ही रहते हैं और हमारे घुटन्ना मित्र हैं" । हमने एक ही सांस में इतना बता दिया और चैन की सांस ली । 

हमारे जवाब का कोई खास असर उन पर नहीं पड़ा तो हमने पूछा "ऐसा काहे को पूछ रहे हो आप ? क्या आपको भाभीजी ने पहचानने से मना कर दिया है" ? 

शायद अनजाने में हमने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था । हमारे इतना कहते ही वे दहाड़ें मारकर रोने लगे । हमारे कंधे का सहारा लेकर वे बहुत देर तक रोते रहे । हमारी शर्ट पूरी भिगो दी थी उन्होंने अपने आंसुओं से । हमने उनके सिर को थपथपाते हुए कहा 

"अरे हंसमुख लाल जी । बीवी की बातों को इतना सीरीयसली मत लिया करो । क्या आज तक कोई ऐसा व्यक्ति है जो दावे से कह सके कि मेरी पत्नी मुझे अच्छी तरह से जानती है और मैं अपनी पत्नी को अच्छी तरह से जानता हूं ? मैंने तो हमेशा बीवियों को यह कहते हुए ही सुना है कि शादी के इतने सालों बाद भी आप मुझे पहचान नहीं सके और पति वृन्दों के मुखारविंद से भी कुछ कुछ ऐसे ही उद्गार प्रकट होते रहते हैं । दरअसल, हम आपको यह कहना चाहते हैं कि हमारी तो समस्या ही यही है कि हमारी बीवी हमें आज तक पहचान ही नहीं सकीं हैं । वे दुनिया भर को जानती पहचानती हैं मगर एक हम ही गरीब आदमी हैं जिन्हें हमारी बीवी ही नहीं पहचानती, बाकी सभी दुनिया बहुत अच्छे से पहचानती है । अब आप ही बताइये कि हमने कभी आपसे कोई शिकायत की है क्या ? नहीं न ! तो फिर आप भी मस्त रहिए । इस दुनिया में कौन किसको कितना जानता है ? अरे, औरों की क्या बात करें , हम खुद को कितना जानते हैं ? जब हम खुद को ही नहीं जानते तो कोई और हमें क्यों जानेगा ? हां, वह व्यक्ति हमें अवश्य जानेगा जिसका कोई काम हमसे अटक रहा है । बाकी लोगों को हमारे बारे में जानने की फुरसत ही कहां है ? 

और रही बात लेखकगणों को जानने की ? हां, हम उन्हें जानते हैं उनकी रचनाओं के माध्यम से । कोई गजल सम्राट है तो कोई सिद्धहस्त कहानीकार । कोई अच्छा गीतकार है तो कोई श्रेष्ठ व्यंगकार । कोई कवि है तो कोई अच्छे अच्छे लेख लिखता है । ये दुनिया सतरंगी है । इसमें सभी रंग भरे पड़े हैं । जितनी जिसके साथ फ्रीक्वेन्सी मैच होती है, उतना ही वह उस व्यक्ति को जानता है । खुद भगवान भी आज तक "औरत" को नहीं पहचान पाये हैं । औरतें तो पल में तोला और पल में माशा होती हैं । उनका मिजाज हर पल बदलता रहता है ।  

रही बात बीवी की । तो भैया, उसे जानने के लिए तो सात जनम भी कम पड़ते हैं । तुम एक ही जनम में ऐसे रहस्यमयी व्यक्तित्व को जानना चाहते हो । सच में , आप बहुत ही नासमझ व्यक्ति हैं । समझदार व्यक्ति वही है जो बीवी की निगाह में अनाड़ी बना रहे । बीवियों को यह इंप्रेशन रहना चाहिए कि "इस निपट अनाड़ी को कुछ आता जाता नहीं है । यह आदमी उसके पल्ले पड़ गया है" । बस, यह भाव जब पत्नी में आ जाता है तो फिर वह हमें बच्चा समझकर हमारी देखभाल करती रहती है । भैया, मैंने तो इसी फंडे से अपनी सारी जिंदगी निकाल ली । जो थोड़ी बहुत बची है वह भी निकल ही जाएगी । रही बात और किसी के जानने की ? अगर और कोई मुझे नहीं जाने तो इससे मेरी सेहत पर क्या फर्क पड़ जाएगा ? मुझे किसी और को जनवाना ही नहीं है । अब कुछ समझ आया जिंदगी का फंडा" ? 

हमारे अनमोल वचनों से हंसमुख लाल जी धन्य धन्य हो गए और हमारे चरण स्पर्श करते हुए कहने लगे "भाईसाहब, एक आप ही तो हैं इस घोर कलयुग में हम जैसे लोगों के तारणहार । आप ही हमें दिशा दिखलाते हो वरना हम तो विचारों के सागर में गोते ही लगाते रह जाते हैं । आपके ज्ञान का लोहा सब लोग मानते हैं । आपने आज मुझे इस पार्क में उसी तरह ज्ञान दिया है जिस तरह 'कुरुक्षेत्र' में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था । आज आपने मेरे मन के सारे संशय खत्म कर दिये हैं । अब मैं निरपेक्ष भाव से घर जाकर अपनी पत्नी का सामना कर सकता हूँ । आपका यह उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा" । 

और हम लोग अपने अपने घरों पर वापस आ गए । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
23.2.22 

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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

02-Mar-2022 05:04 PM

बहुत ही खूबसूरत

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Mar-2022 09:40 PM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

28-Feb-2022 12:57 PM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Hari Shanker Goyal "Hari"

28-Feb-2022 06:41 PM

धन्यवाद जी

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Zakirhusain Abbas Chougule

28-Feb-2022 12:31 PM

Bahut sundar

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Hari Shanker Goyal "Hari"

28-Feb-2022 06:40 PM

धन्यवाद जी

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